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सोच
जो खूब सोचे और मर गए
उनकी सोच को अपनाकर हम बढ़ रहे हैं
अब उनके आगे सोचने को
हम प्रयास लगातार कर रहे हैं
पर मरना है हमें भी
जो सोचेंगे उसी के आधार पर
हम भी सोचे जायेंगे
हमारे सोच केवल उपयोग किए जायेंगे
पुन: लोग सोचेंगे
पुन: लोग मरेंगे
और वे पुन: सोचे जायेंगे
व्यक्ति मरता जायेगा
पर इस सोच को क्यों बनाया गया
यह हमेशा सोचा जायेगा
नये अविष्कार होते जायेंगे
नये प्रतिमान बनते जायेंगे
नये संस्कार गढ़ते जायेंगे
इस तरह. ...
सब कुछ होता जायेगा
और हम मरते जायेंगे
उनकी सोच को अपनाकर हम बढ़ रहे हैं
अब उनके आगे सोचने को
हम प्रयास लगातार कर रहे हैं
पर मरना है हमें भी
जो सोचेंगे उसी के आधार पर
हम भी सोचे जायेंगे
हमारे सोच केवल उपयोग किए जायेंगे
पुन: लोग सोचेंगे
पुन: लोग मरेंगे
और वे पुन: सोचे जायेंगे
व्यक्ति मरता जायेगा
पर इस सोच को क्यों बनाया गया
यह हमेशा सोचा जायेगा
नये अविष्कार होते जायेंगे
नये प्रतिमान बनते जायेंगे
नये संस्कार गढ़ते जायेंगे
इस तरह. ...
सब कुछ होता जायेगा
और हम मरते जायेंगे
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