...

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इन दिनों,,,,,,,
बड़ी मुश्किल से गुजरते हैं शबो रोज इन दिनों
कौन जाने गम बड़े हैं या दिन,, इन दिनों,,,,,

न दोस्ती है न दुश्मनी न दोस्त ना यार
कोई अपना न पराया,न तेरा न मेरा है इन दिनों

किस बात का करूं यकीं किस को झुटलाऊं
अफसाने मोहब्बत के सब झूठे हैं इन दिनों,,

वो ज़माना नहीं के इश्क बुढ़ापे तक चले,,
मोहब्बत का नाम जिस्मो जवानी है इन दिनों,,

न वक्त, न मोहब्बत ना वफा रही है रिश्तों में
हर चीज महंगी है, हर शै की कमी है, इन दिनों,
© Tahrim