...

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रामायण
मेरे वजूद को कर अनदेखा
मेरा परित्याग किया
अश्रुमय नेत्रों को मेरे
तुमने न स्वीकार किया
कैसी विडंबना है ये लछमन
मैं विरह में विकल हुई
तुम अग्रज हिय सेवा में तत्पर रहे
प्रतीक्षा में पल पल अपनी
इच्छाओं का दमन किया
मैं उर्मिला विरह ओट में
ये तन मन तुमको अर्पण किया
#रामायण