...

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चाँद भी रास्ता दिखाता है...
कभी बहारों के साये में,
कोई फूल बहुत इठलाता है,
कभी कोई फूल खिलता है,
और पतझड़ आ जाता है।

कभी मंजिल सामने देख के भी,
ये मन रास्ता भटक जाता है,
कभी जो आँखें भी नहीं देखती,
वो बस ये मन देख पाता है।

कभी किसी चीज़ के लिए,
हर कोई वक़्त बचाता है,
कभी कुछ चीज़ें वक़्त लेती हैं,
कुछ चीज़ों को वक़्त ले जाता है।

कभी उम्मीदों के आसमान में,
सूरज भी कहीं छुप जाता है,
कभी नाउम्मीदों की कुछ रातों में,
चाँद भी रास्ता दिखाता है।
© Sanad Jhariya