...

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वो पहली-सी मुलाकात
वो सालों बाद मिले थे ,
एक दूसरे से
पर मुलाकात वो
पहली मुलाकात-सी थी
आंखों में प्यार बातों में तकरार
पहले-सा ही था ।

सुनी ना थी दोनों ने ,
एक दूजे की आवाज
एक लंबे अरसे से
फिर भी एक दूजे की आवाज सुन
दोनों यूँ पलटे
मानो रोज होती बात हो
आवाज की खनक में ही
एक दूजे के लिए पुकार हो।

कहीं ना थी दोनों ने
एक दूजे से कभी दिल की बातें
पर जो नजरे उनकी मिलती थी
मानो दिल आपस में मिल गए हो
जो थे एक अरसे से
खुद से ही बेखबर
नजरों के मिलने से ही
हो गए थे दुनिया से बेखबर।

एक पल के लिए भी
ना पलके झपकी
अनकहे अल्फाजों ने
कई बातें कहीं
जो थी बस एक दूजे ने सुनी
पलकों के ज़वाब थे जिनमें
नजरो ने किए सवाल थे
होठों की मंद मुस्कान ने
फिर से मिलने की खुशी के
दिए ज़वाब थे।

तुम, तुम ही हो ना
से शुरु बातें हुईं
उनके वही पुराने
मिलने के अंदाज से
आगे बढ़ी,
और दो पल में
वो ऐसे बातें करने लगे
जैसे रोज़ की मुलाकात हो
सालों से ना मिले
ऐसी कोई बात ना हो ।

सालों बाद भी उनके मन में
आज भी वही कशमकश थी
दिल की बात कहें ना कहें
बस यही उलझन थी
कि दिल से बात तो निकलती थी
पर जुबां पर आकर थम जाती थी
एक को डर था दोस्ती खोने का
तो दूसरे को डर था,
समाज के सवालों का ।

कि आज भी ,
उस पहली-सी मुलाकात में
बात अधूरी ही रहे
अगली बार पक्का कहेंगे
खुद से कह
एक दूजे को अलविदा कह
वो मीठी मुस्कान ,चेहरे की चमक साथ
दोंनो ने एक दूजे को
फिर मिलने की बात कही
और खुद वही बात कही
" बिलकुल नहीं बदली है,
ये आज भी पूरी वैसी है "
"बिलकुल नहीं बदला है,
ये आज भी पहले जैसा ही है "।