...

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"प्रीत "
जीवन संग लगाई प्रीत ,
आंचल में तेरे निकले जिंदगी मेरी सारी।
आस लगाए बस इतनी ,
पग बांध ली तेरे नाम की पायल ।
उमर बितायि बन हमराही में तेरी,
हर भूल से तेरी मैंने अपनी तृष्णा बुझायी।
हर ख्वाब को तेरे अपना बनाया,
अंधेरी रातों में तेरे रोशनी बन के मैं आयी ।
कुर्बनीयाँ मेरी , मेरी खता बनगयी ,
तेरे पतझड़ आदतों से, मेरी आशिकी रुसवा हो गयी।।


-शिवाजी