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मयखाने
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
रुसवार सी हुई हैं सर्द रातें
छलके छलके से पैमाने हैं
हिज्र में तेरे जब जिक्र तेरा छिड़ जाता हैं,
बुझ जाती है ,शमा
बेरुख से शामियाने हैं,
किस्से अब महफिलों में हमारे इश्क के
होते नहीं,मानो खो चुके हैं पहचान अपनी,
ये भी खफा हैं हमसे,शौक इनके भी अनजाने हैं
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#love #desire#hope#मयखाने#पैमाने


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