8 views
~पिता~कविता~
पहचान पिता संतानों की,
जो घर का बोझ उठाता है।
बच्चों की इक मुस्कानों पर,
अपना सर्वस्व लुटाता है।
संस्कार, सभ्यता,मनवता,
रग-रग में डाले प्यार करे।
संघर्ष पिता का अनुशासन,
मजबूती के आधार भरे।
बचपन जो यादों में हँसती,
झूलों की यादें आती है।
वो तप पिता का है प्यारे,
जो तुझको आज हँसाती है।
सरबस जो तेरा पिता नही,
तो इक दिन तू पछतायेगा।
अपने बच्चों की बातों से,
तू भी रोये चिल्लायेगा।
--"प्यासा"
© All Rights Reserved
जो घर का बोझ उठाता है।
बच्चों की इक मुस्कानों पर,
अपना सर्वस्व लुटाता है।
संस्कार, सभ्यता,मनवता,
रग-रग में डाले प्यार करे।
संघर्ष पिता का अनुशासन,
मजबूती के आधार भरे।
बचपन जो यादों में हँसती,
झूलों की यादें आती है।
वो तप पिता का है प्यारे,
जो तुझको आज हँसाती है।
सरबस जो तेरा पिता नही,
तो इक दिन तू पछतायेगा।
अपने बच्चों की बातों से,
तू भी रोये चिल्लायेगा।
--"प्यासा"
© All Rights Reserved
Related Stories
13 Likes
2
Comments
13 Likes
2
Comments