नए शहर में आकर
इस नए शहर आकर,
बेगाने भी कुछ अपने से लगने लगे हैं।।
जो आंखे सोती न थी रात भर,
उनमें भी कुछ सपने से जगने लगे हैं।।
~:::अभय:::
बेगाने भी कुछ अपने से लगने लगे हैं।।
जो आंखे सोती न थी रात भर,
उनमें भी कुछ सपने से जगने लगे हैं।।
~:::अभय:::
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