फौजी
एक भावपूर्ण कविता देश के फ़ौजियों के नाम 🙏🏻
बीते दिनों की बताते ,आपको कुछ बातें हैं ,
एक सखी अचानक बोली-फ़ौजी पागल होते हैं !
ख़ून का पी कर घूँट,हमने भी मिलाई हाँ में हाँ,
हम बोले हाँ पागल हैं मतवाले हैं इसलिए कष्ट झेलते हैं !
नहीं चाहते तौहीन हो ,भारत माँ की ,
इसलिए तिरंगे में लिपटकर आते हैं !
सूँई भी चुभती तन में तो हम ,उफ़्फ़ कर जाते हैं ,
भारत माँ के वीर सपूत,गोली भी हंस कर खा जाते हैं!
_30 डिग्री तापमान में ड्यूटी देने जाते हैं ,
गर्म सहारा में तपती जो गर्मी सह जाते हैं !
जाने फिर भी क्यूँ...
बीते दिनों की बताते ,आपको कुछ बातें हैं ,
एक सखी अचानक बोली-फ़ौजी पागल होते हैं !
ख़ून का पी कर घूँट,हमने भी मिलाई हाँ में हाँ,
हम बोले हाँ पागल हैं मतवाले हैं इसलिए कष्ट झेलते हैं !
नहीं चाहते तौहीन हो ,भारत माँ की ,
इसलिए तिरंगे में लिपटकर आते हैं !
सूँई भी चुभती तन में तो हम ,उफ़्फ़ कर जाते हैं ,
भारत माँ के वीर सपूत,गोली भी हंस कर खा जाते हैं!
_30 डिग्री तापमान में ड्यूटी देने जाते हैं ,
गर्म सहारा में तपती जो गर्मी सह जाते हैं !
जाने फिर भी क्यूँ...