...

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कहां से लाऊं
पहले जो बात बात पर हंसते थे वो हंसी कंहा से लाऊं,
बचपन की होने वाली महसूस वो कमी कहां से लाऊं,
पहले हम रूठते थे तो अपने मना लेते थे
ताकत भरी आंखो कि वो नमी कहां से लाऊं,
बेफिक्री से हंसकर जिंदगी जीते थे
हर लम्हे में मिलने वाली वो खुशी कहां से लाऊं,
खुद से जुदा करके दिल से हमे मिलाया
अपना कहने वाला वो अजनबी कहां से लाऊं,
आज अपनों ने ही कर दिया कत्ल हमारे दिल का तो
अब जीने के लिए दूसरी ज़िन्दगी कहां से लाऊं...!
© SHASHI