...

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मैं रेत अज़ल हूं ।
मैं रेत अज़ल हूं ।
अत्फ़ाल पहाड़ो का ।
गुमराह होता हूं । 
पैरो तले  
पवन के साथ 
नदियों के तट पर 
सागर संग किनारों का ।
अश्कों के बिना।
हीं रोता हूं ।

बे कस ,बेअदब 
मुट्ठीओं से फिसलता हूं ।
बददुआ किसका छाला
बाद मेघ चिढ़ाते हैं 
बुंद- बुंद को तरसा मै ,
कंटक कंठ सा मैं प्याला ।
ये...