अलविदा
अलविदा मेरे दोस्त,
बस यही तक था सफर अपना।
खुशियों और गम की सतरंगी,
बड़ा रंगीन रहा रहगुजर अपना।।
शुक्र है तुम्हे मिल गया कोई ,
खुदा खुशियां और वफा बक्शे।
हमे भी साथी मिल जाएंगे,
दिलवालो से भरा हैं शहर अपना ।।
तुम्हारी अपनी जरूरतें होंगी ,
मेरी अपनी शिकस्तगी है।
इस उम्र में गिना गलतियां,
क्यों जाया करे सबर अपना...
बस यही तक था सफर अपना।
खुशियों और गम की सतरंगी,
बड़ा रंगीन रहा रहगुजर अपना।।
शुक्र है तुम्हे मिल गया कोई ,
खुदा खुशियां और वफा बक्शे।
हमे भी साथी मिल जाएंगे,
दिलवालो से भरा हैं शहर अपना ।।
तुम्हारी अपनी जरूरतें होंगी ,
मेरी अपनी शिकस्तगी है।
इस उम्र में गिना गलतियां,
क्यों जाया करे सबर अपना...