**""ए सावन जो तू बरस गया""**
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जीवन गुजर रहा था ,सूना,,
आखिर जो तू बरस गया।
सुखे-सूखे खेतों में ,
गर्मी से तड़पे लोगों में ,,
आखिर तुझे तरस आ गया।
ए -बादल तू देर से ही सही,
झमाझम बरस गया।।
जब प्रेमी तरस रहा था,
महबूब के दीदार को।
किसान तरस रहा था ,
पानी की बौछारों को।
तब हौले -हौले यूँ बरसा तू ,,
जैसे प्रभु का आशीर्वाद हो।।
वन में तड़प रहे,थे जानवर,
घर में तड़प, रहा...