अना !
ये जो फ़ासले होने लगे हैं !
सोचते हो क्यों होने लगे हैं ?
ख्यालों से जो हम दूर होने लगे हैं !
सोचते हो क्यों खुद में डूबने लगे हैं ?
महक रिश्तों की ख़तम हुई हैं !
जहर बातों में जो घुलने लगे हैं !
सोचते हो क्यों नफ़रत, अहद-ए-मोहब्बत से जीतने लगी हैं ?...
सोचते हो क्यों होने लगे हैं ?
ख्यालों से जो हम दूर होने लगे हैं !
सोचते हो क्यों खुद में डूबने लगे हैं ?
महक रिश्तों की ख़तम हुई हैं !
जहर बातों में जो घुलने लगे हैं !
सोचते हो क्यों नफ़रत, अहद-ए-मोहब्बत से जीतने लगी हैं ?...