...

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बचपन में जाना चाहती हुं.......

एक बार फिर बचपन में जाना चाहती हुं.......
वही शरारतें दोहराना चाहता हुं ,
थकी नहीं हुं ज़िम्मेदारीयो से,
पर जिंदगी को बचपन जैसी मासुमीअत से बिताना चाहती हुं,

एक बार फिर बचपन में जाना चाहती हुं,
वही शरारतें दोहराना चाहता हुं ,


बच्चों में बच्चा बनकर खुद को बहलाना चाहती हुं ,
बेपरवाही से अपनी ही मस्ती में ,
हर पल बिताना चाहता हुं,
फिर खिलौनों से घर सजाना चाहती हुं,
एक बार फिर बचपन में जाना चाहती हुं,
वही शरारतें दोहराना चाहता हुं ....

फिर से मां -पापा की ,
नन्ही सी लाडली कहलाना चाहती हुं ,
बेसमझी से बस बिना बात के खिल- खिलाकर हंसना चाहती हूं ,

एक बार फिर बचपन में जाना चाहती हुं,
वही शरारतें दोहराना चाहती हुं....