...

4 views

इंसान इंसान नहीं रहा
पशु पक्षियों की चहचहाहट से गुंजने वाला
अब वो आसमान नहीं रहा
वृंदावन के वासियों की तरह मिलजुल के रहना अब उतना आसान नहीं रहा

स्वार्थ के कारण लोगों के सुख चैन सब खो गए, जिसके अंदर दुसरों के प्रति आदर और प्रेम हो अब कोई ऐसा धनवान नहीं रहा

किसी की गलती हो, तो उसे गलत साबित करने सभी आते हैं
जो बडा दिल करके उसकी गलती को माफ कर दे
अब कोई ऐसा बुद्धिमान नहीं रहा

हे श्री राम जरा देखो अपनी जन्म भूमि को,
यहां अब पहले जैसा आदर, मान सम्मान नहीं रहा
सब भूल चुके हैं अपने कर्तव्य को अब यहां इंसान इंसान नहीं रहा


© All Rights Reserved