ना जाने कहां खो दिया है मैंने
ना जाने कहां खो दिया है मैंने खुद को,
मानो आज मेरा ही घर मुझे ढूंढता है।
बचपन में जब खुद में ही खोई रहती थी..
कोई चिंता और फिक्र नही थी किसी की..
तब इन दीवारों...
मानो आज मेरा ही घर मुझे ढूंढता है।
बचपन में जब खुद में ही खोई रहती थी..
कोई चिंता और फिक्र नही थी किसी की..
तब इन दीवारों...