एकांत...
मैंने अपने एकांत को
फिर कविताओं के शोर से जोड़ा
कुछ छोड़ा था पीछे
जिसे अब साथ में जोड़ा
कोई शिकवा किसी पर
किसी उधार सा छोड़ा
फिर कहीं जाकर
मौन को अपने साथ जोड़ा
मैं नहीं...
फिर कविताओं के शोर से जोड़ा
कुछ छोड़ा था पीछे
जिसे अब साथ में जोड़ा
कोई शिकवा किसी पर
किसी उधार सा छोड़ा
फिर कहीं जाकर
मौन को अपने साथ जोड़ा
मैं नहीं...