...

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तू ही तू है मुझमे
भोर हुई उषा की किरणें ज्यों मेरे चेहरे पे पड़ीं..
यूँ लगा कि जैसे तुमने माथा मेरा चूम लिया हो..

जब मेरे बदन को छू गए सर्द हवाओं के झोंके..
यूँ लगा कि जैसे तुमने बाहों में भर लिया मुझे..

हल्की सी भी आहट कोई कहीं सुनाई देती है..
यूँ लगता है जैसे मेरे क़रीब से ही गुज़रे हो तुम..

आईना जो देखूँ मेरी सूरत में दिखते हो तुम ही..
पूरा दिन तुम्हें ही सोचूँ ख़्वाबों में दिखते तुम ही..

जिधर भी देखूँ फक़त तुम ही तुम नज़र आते हो..
अब तो यूँ लगता है जैसे तू ही तू मुझमें समाया है..

तेरा मुझको बाहों में भर प्यार जताना भाता है..
तेरे पहलू में आकर के सुकूँ मुझे मिल जाता है..
© ऊषा 'रिमझिम'