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रहने दो...
ना करो नुमाइश अपने गमों की, और
ना दिल की फरमाइश को ज़ाहिर होने दो।
मुट्ठी भर नमक लेकर चले रहे हैं लोग
अपने जख्मों को अब परदे ही में रहने दो।
तुम्हारी मुस्कान की भी वजह न मिले किसी को
कुछ तो दुनिया को परेशान भी रहने दो।
हर दिन कुछ नया हो तुम्हारे सोचने समझने को
इतना तो तुम ख़ुद को भी कभी हैरान रहने दो।
ज़िंदगी करवट बदल लेती है चंद लम्हों में ही
जाने दो जो बीत गया
अपने मन को कभी तो खाली रहने दो
© संवेदना
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