वक्त
एक वक्त था...
जब मेरे बिना कहे ही मेरा मन पढ़ लेते थे तुम
मेरे बिना कहे ही मेरे जज्बात जान लेते थे तुम
बातों के लिए लफ्जों की जरूरत नहीं थी हमें
बिना कुछ कहे ही सब कुछ कह देते थे
एक दूसरे की धड़कन महसूस कर लेते थे
खामोश रहकर भी...
जब मेरे बिना कहे ही मेरा मन पढ़ लेते थे तुम
मेरे बिना कहे ही मेरे जज्बात जान लेते थे तुम
बातों के लिए लफ्जों की जरूरत नहीं थी हमें
बिना कुछ कहे ही सब कुछ कह देते थे
एक दूसरे की धड़कन महसूस कर लेते थे
खामोश रहकर भी...