...

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गुज़रा हुआ ज़माना
गुज़रा हुआ ज़माना मेरे दीवाने दिल से जाता नहीं है,
तब ही तो नया जमाना मेरे पागल मन को भाता नहीं है,
जबसे किसी के दीदार की आदत हुईं मन नये सपने सजाता नहीं है,
मैं धीरे-धीरे खुद को भुला चुका हूं पर यह दीवाना उसे भुलाता नहीं है,
वक्त ने मेरी भावनाओं को इस कदर रौंदा है कि अब कोई दर्द मुझे दबाता नहीं है,
मेरी सारी जिंदगी खुशीयों के इंतजार में गुज़री अब कोई ग़म मुझे सताता नहीं है,
शायद इसलिए आजकल मुझे प्यार का कोई ख्याल आता नहीं है,
अब मैं बेजान सा हो गया हूं मेरा दिल प्यार के वो पुराने नगमे गाता नहीं है।
© DEV-HINDUSTANI