श्री राम मंदिर
रामलला जो अयोध्या विराजे तो,
सब जग, राममय होने लगो है
राम नाम सुमिरन से, मन के,
सब पापन को, धोने लगो है।
क्लेश न कर अब, विद्वेष न कर,
जब कार्य विशेष, ये होने लगो है
जन-जन की तपस्या का, राम की किरपा से
सिद्ध मनोरथ, होने लगो है।
नींव पड़ीं, जो अयोध्या में मंदिर की,
मन ये प्रफुल्लित, होने लगो है...
सब जग, राममय होने लगो है
राम नाम सुमिरन से, मन के,
सब पापन को, धोने लगो है।
क्लेश न कर अब, विद्वेष न कर,
जब कार्य विशेष, ये होने लगो है
जन-जन की तपस्या का, राम की किरपा से
सिद्ध मनोरथ, होने लगो है।
नींव पड़ीं, जो अयोध्या में मंदिर की,
मन ये प्रफुल्लित, होने लगो है...