यूँ न आया करो
यूँ न आया करो प्रिये बिना घूँघट लिए शाम ढले छत पर,
चाँद निकला समझ कर आसमान में तारे भी निकल आतें हैं।
यूँ न जाया करो सजधज कर तुम रोज़ गुलशन में,
गुलशन के फूल भी तुम्हें देखकर कुछ शरमा जातें हैं।
यूँ न आया करो चुपके-चुपके रोज़ मेरे सपनों में,
बेचैन...