...

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कल तक नहीं था जो...
जो आज है... कल तक नहीं था
पर दुआ है कि कल हो......

अँधेरे के साये में ज़िन्दगी के जुगनू
जैसे रोशन करते है कुछ पलों को
दुआ है कि रोशन अब हर पल हो
जो आज है... कल तक नहीं था
पर दुआ है कि कल हो !!!

गीले लम्हो कि गीली यादें
जैसे भिगोती है गीले गालों को
दुआ है कि ओर ना भीगे अब
हर हृयद अब तरल हो
जो आज है... कल तक नहीं था
पर दुआ है कि कल हो !!!

जटिल मन है..... परिस्थिति नहीं
दुआ है कि हर मन अब सरल हो...
जो आज है... कल तक नहीं था
पर दुआ है कि कल हो !!!




© VISHAKHA