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तस्वीर
वो हमसे कुछ इस तरह रूठे,
कि दुनिया छोड़ के चले गए,
मै अब तक अपने हांथो में,
उनकी तस्वीर लिए बैठी हूं।
वो शब- ए- फ़िराक़ का मंजर,
कुछ यूं बसा मेरी आंखो में
वो गम- ए- जुदाई अब,
जाती नहीं दूसरों के रफ़ाकतो से,
तेरी तस्वीर लिए फिरती हूं,
दीवानी सी मै आंगन में,
अदावत - ए- कल्बी हो गई,
अब इन चांदनी रातों से,
तेरी जलती हुई लाश की,
तस्वीर छप गई इन आंखों में,
कैसे तुम्हे मै भूल जाऊ या
ह्रदय के उन जज़्बातों को,
तसव्वुर है तू आज भी मेरा,
अब भी तू मेरा ख्याल है
अब भी होती तुमसे बातें है,
बस तस्वीर तुम्हारी कुछ बोलती नहीं,
और होंठो में मेरी लार्जिश सी है,
तस्वीर से बाहर तुम शायद कभी आओगे नहीं,
मै तस्वीर लिए फिरूंगी तुम्हारी,
तुम्हारे पास आने तक।।
*1)शब - ए - फ़िराक़ ( जुदाई की रात)
2)रफाकतो ( हमदर्दी)
3)अदावत - ए - कल्बी ( दुश्मनी)
4)तस्सवुर ( कल्पना)
© @priya
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