...

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बारिश, तुम्हारी याद और मम्मी की डांट
स्टूल .. स्टूल पर विराजमान मैं, कूलर....कूलर की तेज़ तरार हवा से उड़ती मेरी बंधी जुल्फें,खुला दरवाज़ा .......दरवाज़े से निहारती बरसात की बूंदों को मेरी आंखें,
चाय का कप और पकोड़े की प्लेट...... चाय और पकौड़े की असमंझस में खोई मैं न जाने कब बतियाने...