...

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विकास की "खुशी"
आए हो जबसे ज़िंदगी में ज़िंदगी लगती है
लबों पे थी मुस्कान पर अब खुशी लगती है

सहर ए ज़िंदगी में डूबा सा था सूरज कहीं
देखा जो आंखों में तुम्हारे रोशनी लगती है

सांसें जो भर ली, ज़िंदगी कटी थी उनके बिना
उनके नाम के बिना तो धड़कन अधूरी लगती है

निकलते हैं जब वो सज संवर के काली रात में
बाखुदा ज़मीं पे चलती फिरती चांदनी लगती है

आइना देखकर ज़हन में मेरे ये ख्याल आया कि
वो खूबसूरती के लिबास में लिपटी परी लगती है

लम्हा लम्हा इंतज़ार करके जब हम मिलते हैं
आते हैं जब रूबरू होंठ खामोश आंखें भरी लगती है

के उनके होने से ही तो मै भी मुकम्मल हूं
शामिल जो हो गए तो विकास की ज़िंदगी पूरी लगती है

© विकास - Eternal Soul✍️