गम और गुफ्तगू,,
मैं ग़ालिब को नहीं सुनती,
मुझे मनाने नहीं आता,,
मैं मुंतशिर ही खुद से,
खुद को समझाने नहीं आता,,
गुफ़्तगू जो दिल से हो,
वो जुबां पर लाने नहीं आता,,
मैं गुम हूं अपने ही अंदर,
रास्ता दिखाने नहीं आता,,
ख्वाब...
मुझे मनाने नहीं आता,,
मैं मुंतशिर ही खुद से,
खुद को समझाने नहीं आता,,
गुफ़्तगू जो दिल से हो,
वो जुबां पर लाने नहीं आता,,
मैं गुम हूं अपने ही अंदर,
रास्ता दिखाने नहीं आता,,
ख्वाब...