...

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ख़त
कभी-कभी सोचता हूं...
तुम कभी कोई ख़त लिखो...
और पूछो..
जैसे पूछती थी अक्सर
"क्या कर रहे हो ?"
और मैं जवाब लिखूं
कि....
"वक्त के दीमक ने ...
यादों को कुतर दिया..
जो कतरने शेष बचीं...
उन्हें सजा रहा हूँ...
तुमको याद कर रहा हूँ..."

(लिखो कोई ख़त, यार फिर से पूछो ना कभी )
..,,
:-)........... मीर ( राजस्थानी ) 💙
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