क्षणिक मोह
#गुज़रतेअजनबी
वैसे तो मुझे काजल पसंद नहीं,
लेकिन उस रोज,
उसकी आंखों में रंगा मुझे अच्छा लगा,
मुझसे थोड़ी दूर दराज पे खड़ा वो शक्श,
अपनी अल्हड़ अदा में,
मुझे मेरी ही तरह बच्चा लगा,
यौवन के चरम निखार पे था वो,
और अपनी हया से,
मेरी आंखों को,
अपनी तरफ खिंचता जा रहा था,
उसके घुंघराले केशों की लटो में छुपी,
उसकी बड़ी बड़ी आंखें,
जैसे नीले समंदर को अपने अंदर समाहित किए बैठी हो,
मोहक चंद्र सा रूप लिए,
उसका समस्त यौवन,
उसके केशों के घुंघराले लटो में ऐंठी हो,
उससे...
वैसे तो मुझे काजल पसंद नहीं,
लेकिन उस रोज,
उसकी आंखों में रंगा मुझे अच्छा लगा,
मुझसे थोड़ी दूर दराज पे खड़ा वो शक्श,
अपनी अल्हड़ अदा में,
मुझे मेरी ही तरह बच्चा लगा,
यौवन के चरम निखार पे था वो,
और अपनी हया से,
मेरी आंखों को,
अपनी तरफ खिंचता जा रहा था,
उसके घुंघराले केशों की लटो में छुपी,
उसकी बड़ी बड़ी आंखें,
जैसे नीले समंदर को अपने अंदर समाहित किए बैठी हो,
मोहक चंद्र सा रूप लिए,
उसका समस्त यौवन,
उसके केशों के घुंघराले लटो में ऐंठी हो,
उससे...