...

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माँ
इन्द्रधनुष सी हो तुम माँ
ना जाने कहाँ से इतने रंग ले आती हो,
मैं जब जो सुनना चाहू बस वही कैसे कह जती हो,
"तारीफतो वो हैजो दुनिया करे" कहकर
होले से मेरी पीठ थपथपा जस्टि हो,
इन्द्रधनुष सी हो तुम माँ
ना जाने कहाँ से इतने रंग ले आती हो,

"मैंने दुनिया देखी है" के पलने में तुने झुलाया मुझे,
इस दुनिया मे उंगली पकड़कर चलना सिखाया मुझे,
मेरे हर आँसू और मुस्कान का हिसाब रखती है तू,
कहे बिना ही तु सब समझ जाती है तू,
इन्द्रधनुष सी हो तुम माँ
ना जाने कहाँ से इतने रंग ले आती हो,

छल,कपट के इस युग से परे एक बगीचा अपना सजाया तुने,
अपनी दया,ममता और सादगी से सीचा उसे,
सदा निस्वार्थ सेवा व प्यार का पाठ पढाया हमें,
अपने पल्लू में सारा ब्रहमांड को छुपाए माँ
इतनी सौम्य कैसे रह पाती हो,
इन्द्रधनुष सी हो तुम माँ
ना जाने कहाँ से इतने रंग ले आती हो,

© PUJA_typing