...

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मेरे हिस्से में नहीं है...
अपने हाथों से उसे गुलाल लगाना
रंग भरी बाल्टी उसके ऊपर उड़ेल आना
प्रीत के रंगों में खुद को रंग आना
मेरे हिस्से में नहीं है...
उसे अपने हाथों से लड्डू खिलाना
छोटी छोटी बातों पर उसे चिढ़ाना
प्रीत की मिठास जीवन में भर लाना
मेरे हिस्से में नहीं है...
गांव के तालाब पर इत्तेफाक से मिल जाना
मेरे पीछे उसका मेरी गली तक आना
किवाड़ की ओट से प्रीत को देख आना
मेरे हिस्से में नहीं है...
भांग पीकर शिवजी के मंदिर चले जाना
वहां के झूलों पर रंगों की बारिश कर आना
चुनरी में प्रीत के रंगों की याद ले आना
मेरे हिस्से में नहीं है...
© 💞 पूजाप्रेम💞