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खिलौने अनबोलते
खिलौना मिट्टी का हो
या सोने का एक भरा पूरा
संसार है खिलौने का
यह बच्चों को हंसाता
बड़ों का मन मोहता
बूढ़ों को बच्चा बनाता
खिलौने तरह-तरह के
हंसने गाने रोने
चलने बोलने वाले
और कुछ अनबोलते
कभी मुंह नहीं खोलते
सहलाइये दुलारिये पुचकारिये
मन करे उछालिए
मन भरे, तोड़ डालिये
खिलौने ऐसे भी हैं
जब भी मुंह खोलते
प्रेम की परिभाषा से
अनभिज्ञ
"आई लव यू "बोलतें
कुछ खिलौने बड़े मन भाते
चाभी से हिलते डोलते
नकली दांत दिखाते
सब को सुहाते
कुछ हां में हां मिलाते
बात-बात पर सिर हिलाते
अच्छे लगते हैं
सच्चे लगते हैं
खिलौने में
आत्म बोध नहीं होता
अस्तित्व विहीन खिलौने
भले हीं चुप रहते हैं
पर खेलने वालों के
मन की बात कहते हैं
खिलौने पर कोई
असर नहीं होता
ग्रहों की चाल का
रात दिन होने का
एक भरा पुरा
संसार है खिलौने का ।

sukriti singh