...

18 views

इंतहा
तुम्हारी विविध कविताओं में
ये जो जिक्र आता है कभी कभी
हम जो पूछे
तो बात बदल देते हो

बड़े संभाल के रखते हो ,
वो गुलाब तुम
पन्ने दर पन्ने पलटते हुए
हम जो पूछे
तो बात बदल देते हो

अक्सर गुम हो जाते हो ,
शाम की तन्हाई में तुम
हम जो पूछे
तो बात बदल देते हो

सताइश दिखती है
तुम्हारे चेहरे पर
जेहन में किसी की मौजदगी की
हम जो पूछे
तो बात बदल देते हो

उम्र ढलती जा रही है
तुम संग मेरी भी
हम जो पूछे ,वजह देरी की
तो बात बदल देते हो



स्मृति.