माँ
ऐ माँ! सबका ख़्याल रखते रखते
तू अपना ख़्याल भूल जाती है।
ना जाने इतनी शक्ति तुझमें,
कैसे और कहाँ से आती है।
माँ तूने हरदम देना ही सीखा है
तू कहाँ बदले में कुछ चाहती है।
माँ जब भी कोई प्रार्थना करती है
माँ बच्चों की ख़ुशी ही चाहती है।
हम मंदिरों में भगवान खोजने जाते हैं,
वो तो ख़ुद माँ की दुआ में निवास करते हैं।
भगवान ने जब माँ का स्वरूप तैयार किया
बाहर से कोमल अंदर से मजबूत बनाया।
ऐसा करते हुए भगवान ने य़ह भेद माँ से भी छिपाया
क्यूंकि भगवान हर जगह नहीं जा सकते थे।
उन्होंने अपनी सारी शक्तियाँ माँ के अंदर छिपाई
और अपने सारी संतानों का ख़्याल रखने हेतु माँ बनाई।
तू अपना ख़्याल भूल जाती है।
ना जाने इतनी शक्ति तुझमें,
कैसे और कहाँ से आती है।
माँ तूने हरदम देना ही सीखा है
तू कहाँ बदले में कुछ चाहती है।
माँ जब भी कोई प्रार्थना करती है
माँ बच्चों की ख़ुशी ही चाहती है।
हम मंदिरों में भगवान खोजने जाते हैं,
वो तो ख़ुद माँ की दुआ में निवास करते हैं।
भगवान ने जब माँ का स्वरूप तैयार किया
बाहर से कोमल अंदर से मजबूत बनाया।
ऐसा करते हुए भगवान ने य़ह भेद माँ से भी छिपाया
क्यूंकि भगवान हर जगह नहीं जा सकते थे।
उन्होंने अपनी सारी शक्तियाँ माँ के अंदर छिपाई
और अपने सारी संतानों का ख़्याल रखने हेतु माँ बनाई।