जिसे छोडा़ है कुछ नहीं समझकर
जिसे छोडा़ है कुछ नहीं समझकर
वो शख्स बहुत कुछ है
इक तेरी निगाह में जोकर बना रहा
तुझे खुशियाँ देने के लिए
तेरी नासमझी की हदें बहुत है
अब भी चली...
वो शख्स बहुत कुछ है
इक तेरी निगाह में जोकर बना रहा
तुझे खुशियाँ देने के लिए
तेरी नासमझी की हदें बहुत है
अब भी चली...