...

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कब लिखना शुरू किया...?
एक अर्से बाद जब मैं और वो चाय पर मिले,
और उसने पूछ कब लिखना शुरू किया?
मैंने कहा...

जब दिल में जज्बातों का समंदर उफान ले रहा था और सुनने वाला कोई नहीं था,
तब लिखना शुरू किया...

जब अपनों के बीच में रहकर गैरों सा ख़ुद को पाया,
तब लिखना शुरू किया...

जब आंखों में ख़्वाब सजाए और उन ख्वाबों को बिखरते देखा,
तब लिखना शुरू किया...

जब आंसुओं के सैलाब को होठों की मुस्कान में छुपाया,
तब लिखना शुरू किया...

जब दिन के उजालों में दम घुटन लगा और रात की तन्हाई में सुकून पाया,
तब लिखना शुरू किया...!
- Aashu
© wordsofaayushi