क्या राम फिर से आएंगे
तड़प उठी है नारी
बन रही है पत्थर,
दबा दिया है उसने
अपने अरमानों को,
छुपा लिया है उसने
अपने मनोभावों को,
वो जिंदा तो है मगर
जीती नहीं जिंदा की तरह,
जमाने की निष्ठुरता ने
उसे बना दिया है अहिल्या,
और आज वो इंतजार में है
कि क्या राम फिर से आएंगे।
त्रेता युग में...
बन रही है पत्थर,
दबा दिया है उसने
अपने अरमानों को,
छुपा लिया है उसने
अपने मनोभावों को,
वो जिंदा तो है मगर
जीती नहीं जिंदा की तरह,
जमाने की निष्ठुरता ने
उसे बना दिया है अहिल्या,
और आज वो इंतजार में है
कि क्या राम फिर से आएंगे।
त्रेता युग में...