ज़िंदगी की कश्मकश
ज़िंदगी की कश्मकश में,
उधार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
उलझ गए इतने कश्मकश में कि,
बेज़ार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
अपनी परछाई भी साथ छोड़ रही है,
स्याह...
उधार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
उलझ गए इतने कश्मकश में कि,
बेज़ार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
अपनी परछाई भी साथ छोड़ रही है,
स्याह...