8 views
ज़िंदगी की कश्मकश
ज़िंदगी की कश्मकश में,
उधार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
उलझ गए इतने कश्मकश में कि,
बेज़ार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
अपनी परछाई भी साथ छोड़ रही है,
स्याह रात सी लगने लगी है ज़िंदगी।
समझौता इतने किए कि,
व्यापार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
समझ ना पाएं ज़िंदगी के ताना बाना,
बोझ सी अब लगने लगी है ज़िंदगी।
ज़िंदगी की कश्मकश में उलझ गए इतने कि,
जीने से अब इनकार करने लगी है ज़िंदगी।
उधार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
उलझ गए इतने कश्मकश में कि,
बेज़ार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
अपनी परछाई भी साथ छोड़ रही है,
स्याह रात सी लगने लगी है ज़िंदगी।
समझौता इतने किए कि,
व्यापार सी लगने लगी है ज़िंदगी।
समझ ना पाएं ज़िंदगी के ताना बाना,
बोझ सी अब लगने लगी है ज़िंदगी।
ज़िंदगी की कश्मकश में उलझ गए इतने कि,
जीने से अब इनकार करने लगी है ज़िंदगी।
Related Stories
18 Likes
4
Comments
18 Likes
4
Comments