...

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आकाश और विशव।
आकाश के इस निराले रंग को देखकर,
आती है मुझे हंसी दुनियावालों पर,

के इस प्रकृति के विशालकाय बनावट को ना है खुद पर घमंड ना है खुद पर नाज़,

तो इस दुनिया में क्यूं भरे पड़े हैं इतने धोखेबाज।

इस विशालकाय और मनमोहक आकाश में छुद्र सी भी ना है घमंड,

फिर तुम में क्यूं है गर्व इतना प्रचंड।

आकाश की सुंदरता से ना कर इनकार,

क्यूंकि अगर इसका अस्तित्व ना होता तो तू होता बेकार।

आकाश के वायु में है ठंडी ताजगी,
जिससे मिलती है मेरे दिल को सादगी।

छोड़कर इन व्यर्थ विचारों को,
चलो चलते हैं खोजने प्रकृति के अनोखे संसार को।

जब आकाश से गिरती है मोतियों सी पानी,
तब सबको जगा देती है मेंढकों की वाणी।


मैं हूं इस प्रकृति से प्रभावित,
क्यूंकि मैं जानती हूं कि दुनिया है इस ही पर आश्रित।

तो देकर अपना थोड़ा समय,
देख लो प्रकृति कितना है रहस्यमय।
_written by sana