#सूरज से सीखो#
है नील गगन गुंजायमान
मानव की ही ललकारों से,
तम को सूर्य अकेला ही काफी
कुछ होता ना टिम टिम तारों से।।
तुम एक अकेले एकमात्र
कर सकते सारा जग परास्त,
उत्साह अटल सूरज सा राखो
नित उगता है होकर नित आस्त।।
मानव की ही ललकारों से,
तम को सूर्य अकेला ही काफी
कुछ होता ना टिम टिम तारों से।।
तुम एक अकेले एकमात्र
कर सकते सारा जग परास्त,
उत्साह अटल सूरज सा राखो
नित उगता है होकर नित आस्त।।
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