...

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*"मर्ज की दवा"*


तेरे दिल की मुझे धड़कन बना ले,
तेरे हर एक मर्ज की मुझे दवा बना ले।

जब भी तू तन्हा हो, आधा हो, सारे जग से खफा हो,
तेरे दिल की तन्हाई का मुझे दिलदार बना ले।
तेरे हर एक मर्ज मुझे दवा बना ले।।

जब भी तू वक्त से रूठा हो, हिम्मत से हारा हो, थका हो,
तेरे होठों की मुझे मुस्कान बना ले।
तेरे हर एक मर्ज की मुझे दवा बना ले।।

जब भी तू भटका हो, अस्थिर हो,
चारों ओर अंधेरा हो,
तेरे जीवन का मुझे सलाहकार बना ले।
तेरे हर एक मर्ज की मुझे दवा बना ले।।
{सम्राट}