...

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ग़ज़ल
हर चीज़ बदलती है ये वक़्त बदलने से
नाकाम हुए दीपक सूरज के निकलने से

इक शय को ज़वाल आना इक शय की बशारत है
इक सुब्ह़ नई होगी इक शाम के ढलने से

दुनिया...