...

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उम्मीद
यूँ हसीं रुख़सार पर गम के बादल न लाया करो।
जिंदगी चार दिन की है यार ज़रा मुस्कुराया करो।

दुनियाँ बहुत खूबसूरत है मैनें महसूस किया है।
घुटन से बाहर निकलो और कहीं घूम आया करो।

अब कनपटी पर बाल सफेद होने लगे तो क्या हुआ।
फिर बालो को काला करिए और गजरे लगाया करो।

कितनों के चेहरे की रंगत फीकी पड़ जाएगी देख कर।
परवाह मत करो जिंदगी तुम्हारी है उन्हें बताया करो।

जब लगे जिंदगी में खालीपन आपको सता रहा है।
बचपन के दिनो के पुराने दोस्तों से मिल आया करो।

अगर फिर भी मन में बेचैनी हो तुम्हारे "अर्जुन" ।
ये घर आपका है बेशक आया जाया करो।



© अर्जुन इलाहाबादी