हिंदी तुम...
हिंदी तुम, भाव निर्झरणी बन जीवन में मेरे बहती हो,
अपने सरल सौम्य रूप में, नित्य नए मानक गढ़ती हो।
बन जाती तुम सदैव ही मेरी अभिव्यक्ति की पहचान,
स्पंदन पर भी मेरे प्रिय भाषा अधिकार तुम रखती हो।
लालित्य तुम्हारा बनता प्रेरणा स्रोत मेरे शब्द सृजन का,
व्यंजना बन तुम ही तो, मेरे काव्य...
अपने सरल सौम्य रूप में, नित्य नए मानक गढ़ती हो।
बन जाती तुम सदैव ही मेरी अभिव्यक्ति की पहचान,
स्पंदन पर भी मेरे प्रिय भाषा अधिकार तुम रखती हो।
लालित्य तुम्हारा बनता प्रेरणा स्रोत मेरे शब्द सृजन का,
व्यंजना बन तुम ही तो, मेरे काव्य...