...

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तुम हों तो
आज़ में जीना हैं मुझको
जो संग तेरा मुझको हों तो
इस हसरत को मिलें किनारा
जो संग मेरे तुम हों तो

बात पुरानी छोड़ों सारी
नया समा जीते हैं
चल मेरे हमराज सनम
बनाएं नई रीते हैं

तुम हों तो
सब कुछ हैं यहीं
तुम ना हों तो
सुकून कुछ नहीं

लम्हात हैं आगे कितने
तुम फिर भी खफा हों
मुझको फ़िक्र तेरी रहें
करतीं हों मुझ पर जफा हों

रातों को मेरी
सुबहा तुम कर दो
जीवन में राहत का
थोड़ा वक्त कर दो

कहती हैं दुनिया
ख़ुदा यहीं हैं...