सावनप्रिया
ऐ ठनका! तू ठनक,
जरा, पर होश में आके;
खो ना जाऊं! कहीं
किसी आगोश में जाके।
बस थिर रह, तू पलक,
झपक ले एक निमिष का;
आते होंगे मेरे प्रिय,
है बोझ तपिश का।
ऐ दादुर! ना...
जरा, पर होश में आके;
खो ना जाऊं! कहीं
किसी आगोश में जाके।
बस थिर रह, तू पलक,
झपक ले एक निमिष का;
आते होंगे मेरे प्रिय,
है बोझ तपिश का।
ऐ दादुर! ना...