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श्रीकृष्ण लीला
श्रीकृष्णलीला
कलि-कलि,डाल-डाल
पुष्प-पुष्प, पात-पात
सरिता,भूधर,गांछ-गांछ।
मधुर मयूर सुन गान-गान
झूमत गईया,सब बाल-बाल।
पुलकित ह्रदय, हर्षित नयन,
घुमड़त मन,प्रमोदित चितवन
बांसुरी मधुर सुन,थिरकत मधुवन।
श्रीकृष्ण लीला रसपान करन को,
छद्म वेश धर आयौ हरिगण।
माखन चुरावैं,नन्द किशोर।
राधा मन भायौ, चितचोर।
गोकुल सोहत,सोहत वृन्दावन।
भक्ति-भाव विहल गोवर्धन।
यशोदा मैया को छकावैं मोहन,
ग्वारबाल संग घूमैं गोपाला,
गोपियों संग रास रचावैं,
पनिहारिनों संग खेलैं रविलोचन।
कलि-कलि,डाल-डाल
पुष्प-पुष्प, पात-पात
सरिता,भूधर,गांछ-गांछ।
मधुर मयूर सुन गान-गान
झूमत गईया,सब बाल-बाल।
पुलकित ह्रदय, हर्षित नयन,
घुमड़त मन,प्रमोदित चितवन
बांसुरी मधुर सुन,थिरकत मधुवन।
श्रीकृष्ण लीला रसपान करन को,
छद्म वेश धर आयौ हरिगण।
माखन चुरावैं,नन्द किशोर।
राधा मन भायौ, चितचोर।
गोकुल सोहत,सोहत वृन्दावन।
भक्ति-भाव विहल गोवर्धन।
यशोदा मैया को छकावैं मोहन,
ग्वारबाल संग घूमैं गोपाला,
गोपियों संग रास रचावैं,
पनिहारिनों संग खेलैं रविलोचन।
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